ऐसे होगा कलयुग का अंत और कल्कि अवतार

कलिमल ग्रसे धर्म सब लुप्त भए सदग्रंथ दंभिन्ह निज मति कल्पि करि प्रगट किए बहु पंथ। रामचरित्र मानस से ये इस दोहे का भावार्थ है की कलयुग के पापो ने सब धर्मों को ग्रस्त कर दिया हैं। आद्यात्मिक ग्रन्थ लुप्त हो गए हैं और अधर्मियों ने अपनी बुद्धि से कल्पना कर करके बहुत से पंथ प्रकट कर दिए हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी श्रीमदभागवत और रामायण के अनुसार ही रामचरित्र के उत्तरकाण्ड में काकभुशुण्डि का अपनी पूर्व जन्मकथा और कई महीने का वर्णन करने का उल्लेख करते हैं। कई हजार वर्ष पूर्व भी भागवत में शुकदेव जी ने जिस बारीकी से और विस्तार से कलियुग का वर्णन किया हैं वो हमारी आँखे खोलने के लिए काफी हैं आज सब तरफ उसी वर्णल के अनुसार घटनाएं घट रही हैं और आगे भी जो लिखा हैं वैसा ही घटेगा ऐसा प्रतीत होता हैं ! तो मित्रों आइये मिलकर जानते हैं की हमारे धरम ग्रंथो में कलियुग का क्या वर्णन मिलता हैं और ये कब और कैसे समाप्त होगा। नमस्कार और स्वागत हैं आप सभी का एक बार फिर ! कलियुग यानि कालायुग कले कलेश का युग। जिस युग में सभी के मन में असंतोष हो सभी मानसिक रूप से दुःखी हो वे युग ही कलयुग हैं। इस युग में धर्म का एक चौथाई अंश ही रह जाता हैं। कलयुग का प्रारम्भ 31 सौ दो ईसा पूर्व हुआ था। श्रीमदभागवत पुराण और भविष्यपुराण में कलियुग के अंत का वर्णन मिलता हैं। कलियुग में भगवान कल्कि का अवतार होगा , जो पापियों का संहार करके फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे। कब होगा कलियुग का अंत 31 सौ दो ईसा पूर्व पांच ग्रह मंगल बुध शुक्र बृहस्पति और शनि मेष राशि पर जीरो डिग्री पर हो गए थे। कलयुग तभी से प्रारम्भ हुआ। अभी कलयुग का प्रथम चरण ही चल रहा हैं। हमारे पुराणों में कलयुग की अवधि और ये समाप्त कैसे होगा इसका व्यापक वर्णन किया हुआ हैं।
कलयुग की अवधि 12 सौ दिव्य वर्ष बताई गयी हैं। मनुष्य का एक महीना पितरों के एक दिन रात के बराबर होता हैं। वही मनुष्यों का एक वर्ष देवता के एक दिन रात के बराबर और मनुष्य के तीस वर्ष देवता के सिर्फ एक महीने के बराबर होते हैं। कलयुग की अवधि 12 सौ दिव्य वर्षीय बताई गयी हैं। इस हिसाब से कलयुग का काल 4 लाख 32 हजार साल लम्बा चलेगा। दर्शकों इसका मतलब हैं की कलियुग के अभी 31 सौ दो जमा 2016, 5 हजार 118 वर्ष बीत चुके हैं और चार लाख 26 हजार 8 सौ 82 वर्ष अभी बाकी हैं। मनुष्य के 8 लाख 84 हजार वर्ष देवताओं के 24 सौ दिव्य वर्ष अर्थात एक द्वापर युग के बराबर होते हैं तो वही त्रेता युग 36 सौ दिव्य वर्ष का होता हैं। जिसमें मनुष्य के 12 लाख 96 हजार वर्ष आते हैं। कलियुग बाकी सभी युगो से छोटा युग हैं। यहाँ एक द्वापर युग में 24 सौ दिव्य वर्ष या फिर 8 लाख 64 हजार मनुष्यों के वर्ष आते हैं वही एक त्रेता युग में 36 सौ दिव्य वर्ष या फिर 12 लाख 96 हजार मनुष्य वर्ष आते हैं। इसी क्रम में एक सतयुग 4 हजार 800 दिव्य वर्ष का होता हैं। जो मनुष्यों के हिसाब से 17 लाख 28 हजार वर्षो के बराबर हैं। इन सबका कुल योग 12000 दिव्य वर्ष जो मानव के हिसाब से 43 लाख 20 हजार वर्षो के बराबर हैं। मिलकर एक महायुग बनाते हैं। मित्रों आप जानते हैं की कलियुग के अंत में क्या क्या होगा। क्या होगा कलियुग के अंत में सबसे पहले तो ये होगा की मनुष्य की औसत आयु 20 वर्षीय रह जाएगी। 5 वर्ष की छोटी उम्र में स्त्री गर्भवती हो जाया करेगी 16 वर्ष की मनुष्य वृद्ध हो जायेंगे और 20 वर्ष की आयु में ही मृत्यु को प्राप्त हो जायेंगे। इंसान का शरीर घटकर गुना हो जायेगा। ब्रम्हवैवर्तपुराण में बताया गया हैं की कलियुग में एक ऐसा समय भी आएगा जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी। युवास्था समाप्त हो जाएगी कली के प्रभाव से प्राणियों की शरीर छोटे छोटे शील और रोगग्रस्त होने लगेंगे । जिस समय भगवान् कल्कि इस धरती पर अवतरित होंगे उस समय मनुष्य की परम आयु केवल 20 या 30 वर्ष रह जाएगी। जिस समय कल्कि अवतार आएंगे चारो वर्णों के लोग शुद्ध के सामान हो जायेंगे। गौ माता भी बकरियों की तरह छोटी छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएँगी। मनुष्य क्या खायेगा कलियुग के अंत में संसार की ऐसी दशा होगी की अन्न नहीं उगेगा। लोग मछली मांस ही खाएंगे और भेड़ बकरियों का दूध पिएंगे। गाय तो दिखना भी बंद हो जाएगी होगी भी तो बकरी के समान वो दूध देना भी बंद कर देगी।
एक समय ऐसा आएगा जब जमीन से अन्न उपजना बंद हो जायेगा पेड़ो पर फल नहीं लगेंगे और धीरे धीरे ये सारी चीजे धरती से विलुप्त हो जायेंगे। कैसा होगा मनुष्यो स्वभाव स्त्रियां कठोर स्वभाव वाली वो कड़वा बोलने वाली होंगी वो पति की आज्ञा नहीं मानेंगी जिसके पास धन होगा उसी के पास स्त्रियां रहेंगी। मनुष्यों का व्यवहार गधो जैसा दुषय केवल गृहस्थी का भार ढ़ोने वाला रह जायेगा लोग विषेय हो जायेंगे। धरम करम का लोप हो जायेगा। मनुष्य जप रहे एक नास्तिक वे चोर बन जायेगा सब एक दूसरे को लूटने में लगे रहेंगे। कलियुग में समाज हिंसक हो जायेगा भीड़ में लोग आएंगे और एक मनुष्य की जान ले लेंगे जो लोग बलवान होंगे उनका ही राज चलेगा। मानवता नष्ट हो जाएगी रिश्ते ख़त्म हो जायेंगे। एक भाई अपने ही भाई का शत्रु बन जायेगा। एक हाथ दूसरे हाथ को लूटेगा। पिता पुत्र का और पुत्र पिता का वध करने में भी संकोच नहीं करेंगे अपनी प्रशंसा के लिए लोग बड़ी बड़ी बाते बनाएंगे किन्तु समाज में उनकी निंदा नहीं होगी। इन सब बातों को सुनकर ऐसा लगता हैं मित्रो मानो वर्तमान की बात ही लिखी गयी हो कैसा होगा मनुष्य का धर्म कलियुग में लोग शास्त्रों से विमुख हो जायेंगे। अनैतिक साहित्य ही लोगों को पसंद आएगा बुरी बाते और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा। स्त्री और पुरुष दोनों ही अधर्मी हो जायेंगे। स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देंगी और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे स्त्री और पुरुषो से सम्बंधित सभी वैदिक नियम विलुप्त हो जाएंगे। श्रीमदभागवत के द्वादस कर्म कलियुग धर्म के अंतर्गत श्री शुकदेव जी परिक्षित जी से कहते हैं ज्यों ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा ,त्यों त्यों उत्तरोत्तर धर्म ,सत्य ,पवित्रता ,क्षमा दया ,आयु ,बल और स्मरण शक्ति का लोप होता जायेगा ! महाप्रलय बहुत काल तक सूखा रहने के बाद कलियुग के अंतिम समय में बहुत मोटी मूसलाधार बारिश होगी जिससे चारो ओर पानी ही पानी हो जायेगा समस्त पृथ्वी पर जल ही जल होगा। इसके बाद एक साथ 12 सूर्योदय होगा और उनके तेज से ये पृथ्वी सूख जाएगी कलियुग के अंत में भयंकर तूफ़ान और भूकंप आएंगे लोग मकानों में नहीं रह पाएंगे लोगों को गड्ढे खोदकर रहना पड़ेगा। धरती की सतह का 3 हाथ हिस्सा अर्थात लगभग साढ़े 4 फ़ीट नीचे तक धरती का उधराव अंश नष्ट हो जायेगा।
महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र हैं लेकिन ये किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा ! महाभारत के वर्णन परल में उल्लेख मिलता हैं की कलियुग के अंत में सूर्य का तेज इतना बढ़ जायेगा की सातो समुद्र और नदियां सूख जायेंगे। सनतर्क नाम की अग्नि धरती को पाताल तक जला देगी सब कुछ भस्म हो जायेगा। इसके बाद फिर 12 वर्षो तक लगातार बारिश होगी जिससे सारी धरती जलमंद हो जाएगी और जल में फिर से जीवन की उत्पत्ति की शुरुआत होगी। तो मित्रो आज हमने कलियुग की कई ऐसी बातों को जाना जिन्हे देखकर बहुत आश्चर्य तो नहीं होता लेकिन जैसे जैसे कलियुग आगे बढ़ता जायेगा और भी ज्यादा पाप ज्यादा द्विष और अधर्म इस धरती पर बढ़ता जायेगा लेकिन मानवता जीवित रहेगी और उसे जिन्दा रखेंगे वो चंद लोग जो धर्म और नैतिकता का रास्ता नहीं छोड़ेंगे। हम उम्मीद करते हैं की सभी लोग ऋषिमुनियों के दिखाए धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलेंगे और इस कलियुग के अन्धकार में प्रकाश देने का काम करेंगे इसी सन्देश के साथ समाप्त करते हैं मित्रो आज की ये जानकारी अच्छी लगी हो तो लाइक और शेयर करे आपका बहुत बहुत शुक्रिया !