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SJVL के इस प्रोजेक्ट से भारत को होगा बहुत बड़ा फायदा

दोस्तों अगर बात करें हम रिन्यूएबल एनर्जी के बारे में जिसमें दो चीज है, कॉमन है पहली है सोलर पैनल्स और दूसरी है विंड एनर्जी यानी की पवन जग से उत्पन्न की हुई इलेक्ट्रिसिटी तो भारत की विंड एनर्जी से अधिक बहुत बड़ी अपडेट सामने निकल कर आ रही है।

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SJVL के इस प्रोजेक्ट से भारत को होगा बहुत बड़ा फायदा

 

जहां पर एसजेवीएन जो कि एक भारतीय संस्था है जिन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ विंड एनर्जी के साथ एक एमओयू यानी कि मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग को साइन किया है जिससे यह बहुत बड़ी मात्रा में भिंड के जरिए इलेक्ट्रिसिटी को जनरेट करने का काम करेंगे जो कि कहीं ना कहीं भारत के अंदर लोकल मैन्युफैक्चरिंग और प्रदूषण को कम करने में बहुत बड़ी मदद करने वाला है।

आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि एसजेवीएन लिमिटेड इंडिया का लार्जेस्ट ऑफ रेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर जेनरेशन करने वाली कंपनी है तो यहां पर दोनों संस्थाओं के बीच हुए इस मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग में बड़े प्रोजेक्ट को शामिल किया गया है जैसे कि कंप्लीट विंड एनर्जी हाइब्रिड एनर्जी यानी कि पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा को एक साथ बनाया जाएगा और तीसरी योजना है पवन और सौर इसके साथ में बैटरी भंडार यानी कि बैटरी सोच कैपेसिटी उसको भी लगाया जाएगा, जिससे रात के टाइम पर या जब एयर प्रेशर सही से ना हो तब इस बैटरी स्टोरेज से इलेक्ट्रिसिटी की खपत को पूरा किया जा सके जो कि अपने आप पर दोनों कंपनियों की एक बहुत बड़ी प्लानिंग है।

SJVL के इस प्रोजेक्ट से भारत को होगा बहुत बड़ा फायदा

 

साथ ही में रिपोर्ट के मुताबिक एसडीवीएन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक नंदलाल शर्मा ने कहा कि भारत सरकार वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता और 2030 तक 450 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता की स्थापना करने के लक्ष्य को लेकर के आगे बढ़ रही है जिसमें देश की सभी छोटी-बड़ी कंपनियों ने योगदान दिया है।

सब ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग को लगभग शुरू कर दिया है। साथ ही में रिपोर्ट के मुताबिक मिशन यह भी है कि गांव-गांव तक इलेक्ट्रिसिटी पहुंच सके और ज्यादातर रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल किया जाए और जानकारी के मुताबिक इन दोनों कंपनियों के बीच हुए समझौते में एसडीवीएन 2040 तक 25000 मेगावाट कैपेसिटी को बिल्ड करने में कामयाब हो जाएगी।

जैसे कि हमने बताया कि इस काम को पूर्ण स्वदेशी रूप से किया जाएगा क्योंकि देश के अंदर कई ऐसी कंपनियां है जो बनर्जी के बड़े-बड़े पार्ट 2 मैन्युफैक्चर करती है। लेकिन ज्यादातर और डर तू ने विदेशों से मिलते हैं लेकिन जैसे कि भारत सरकार यूनिवर्स  विंड एनर्जी पर फोकस कर रही है तो अब उनकी खबर देश के अंदर ही ज्यादा होने वाली है।

आप लोगों को हुए समझौते के बारे में क्या कहना है। अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा। वन्दे मातरम भारत माता की जय।

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