
इस बात से तो कोई नहीं नकार सकता है कि की इस वायरस ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। लगभग हर एक के परिवार में किसी ना किसी को यह कोरोना वायरस तो जरूर हुआ होगा और सभी के आसपास किसी ना किसी जान पहचान वाले की इस कोरोना वायरस ने जान तो जरूर ली होगी। वैसे देखा जाए तो सरकारी नौकरी वालों को तो घर बैठे तनख्वाह मिल गई होगी। लेकिन प्राइवेट बिजनेस फैक्ट्री दुकानदार शॉपिंगमॉल दिहाड़ीदार मजदूर मिस्त्री ठेले वाले लगभग बाकी सभी वर्ग के लोग इस कोरोना महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
लाखों करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ा है लेकिन इस बात से भी नहीं नाकारा जा सकता है कि जब तक सभी लोग वक्सीनेटेड नहीं हो जाते तब तक हालात बिगड़ने पर लॉकडाउन इसका एक ही सहारा है और जो भी सेकंड वेव काबू में आई है, वह भी लॉक डाउन का कमाल है। मगर इस बार का लॉकडाउन पिछले साल वाले फर्स्ट के लोगों से थोड़ा अलग था इस बार सारी इकोनोमिक एक्टिविटीज बंद नहीं की गई थी और एक मास्टर स्ट्रेनोलोजी के साथ लॉकडाउन लगाया गया था। जिसके परिणाम स्वरुप अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है। अभी भी अनुमान लगाया जा रहा है कि देश की जीडीपी ग्रोथ साल 2021 से 22 के लिए 9.5 परसेंट रहेगी। खैर यह तो वैसे वित्त वर्ष 2021 से 22 के अंत में ही पता चलेगा। जिसको अभी काफी समय है, लेकिन उससे पहले ही भारतीय अर्थवयव्था ने कॉन्ट्रेक्ट आने के संकेत देना शुरू कर दिये है । दरहसल जो खबर सामने निकल कर आ रही है उसका इंतजार हमें आपको सरकार और कई लोगों को बड़े लंबे समय से था जो कि अब पूरा हो चुका है। मनीकंट्रोल इकोनामिक टाइम्स बिजनेस स्टैंडर्ड फोटो बड़े-बड़े मिडिया हाउसेस से यह मिडिया रिपोर्ट्स सामने निकल कर आ रही है कि भारत की फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स ने $620 बिलियन का आंकड़ा पार करके बहुत ही बड़ी छलांग लगा दी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 4 जून को खत्म हुए हफ्ते में भारत के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 6.8 बढ़कर $605 बिलीयन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया हैं। यह भारत के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि भारत के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 600 या फिर $605 बिलियन के पार पहुंच गए हो । वैसे भारत की फॉरेन रिजर्व पिछले हफ्ते करीब 598 बिलियन डॉलर्स थे उसके साथ में गवर्नमेंट ने कुछ दिन पहले इस बात की संभावना जता दी थी कि इस हफ्ते भारत के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व गिरेंगे नहीं बल्कि बढ़ेंगे और यह 608 बिलियन डॉलर्स के रिकॉर्ड के आंकड़े को भी पार कर देंगे।
खुशी की बात यह है कि यह आंकड़ा रशिया के बिल्कुल बराबर का है । अब दोनों देशों के फॉरेन रिजर्व लगभग बराबरी पर आ टिके हैं। रसिया के 605.2 बिलियन डॉलर्स और भारत के 605 बिलियन डॉलर्स एक्सपर्ट के मुताबिक देश का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व किसी भी देश की आर्थिक मजबूती को दर्शाता है और बताता है कि देश आर्थिक रूप से कितना संपन्न है। 605 बिलियन डॉलर्स इतनी बड़ी रकम है कि भरत इतने पैसों से अगले 16 महीने तक का इंपोर्ट बिल एक ही साथ चुका सकता है। यानी अगर किसी अनहोनी आपदा या फिर वित्तीय संकट की वजह से भारत के पास डॉलर या फिर कोई विदेशी मुद्रा ना आए। तब भी हम अगले 16 महीने तक विदेशों से उनका सामान इंपोर्ट कर सकते हैं ग्रहयुद्ध या किसी भी स्थिति में इनका इस्तेमाल इमरजेंसी बेसिस पर हथियार खरीदने के लिए भी किया जा सकता है वही इनसे पेट्रोल आयल की पेमेंट भी की जा सकती हैं ख़ुशी कि बात यह है की भारत के फॉरेन रिजर्व मार्च 2020 में मात्र 477 बिलियन डॉलर्स थे जो कि आज जून 2021 में यानी 14 महीने के बाद 605 बिलियन डॉलर है मतलब 128 बिलियन डॉलर्स पिछले 14 महीने में जुड़ गए है एक्सपर्ट का मानना है कि अगर यही स्पीड रही तो 1 ट्रिलियन डॉलर्स यानी 1000 बिलीयन डॉलर्स का आंकड़ा 2025 से पहले पूरा हो जाएगा। वैसे मोदी सरकार ने जो इसी साल कोपरेट टैक्स में बदलाव करके इस ऑफ़ डूइंग बिजनेस के लिए कानूनी पेचीदिया कम कर दी थी। यह उसी का कमाल है कि भारत में रिकॉर्ड स्तर पर निवेश यानी एफडीआई आ रही है जिसे भारत में फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़ने में बहुत ही सहायता मिल रही है। क्या आप देखकर फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़ने को मोदी सरकार की उपलब्धि मानते हैं। हां या फिर नहीं नीचे कमेंट करके अपनी राय जरूर बताएं थैंक यू?