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Biggest Loss नहीं खरीदना चाहिए ये देश भारतीय कोचों को देखिये क्या हे कारण

भारत दुनिया में सबसे ज्यादा रेलवे कोचिंग सपोर्ट करने वाला देश है और कई अफ्रीकन देशों के अलावा भारत से बॉर्डर शेयर करने वाले देशों के रेलवेज में मेड इन इंडिया रेलवे को चलाए जाते हैं।पर शायद ही ऐसा कोई साउथईस्ट एशियन देश होगा जो मेड इन इंडिया रेलवे कोच अपनी रेलवेज में इस्तेमाल करता होगा।मिसाल के तौर पर इंडोनेशिया वियतनाम, थाईलैंड, फिलीपींस, मलेशिया और सिंगापुर जैसे कई और साउथईस्ट एशियन कंट्री है जहां कर रेलवेज मार्केट गया तो निशा के पास है या फिर जाने के बाद हालांकि कंट्री जापान से भी अपने रेलवे कमिंस इंपोर्ट करती है और भारतीय रेलवे दिन सभी एक्सपोर्ट मार्केट में भी तक पैर नहीं जमा पाई है।आज बात करेंगे थाईलैंड रेलवेज के बारे में जो रेलवे नेटवर्क के हिसाब से काफी छोटा है पर भारत के रेलवे सपोर्ट के लिए पोटेंशियल मार्केट बन सकता है। थाईलैंड के रेलवे नेटवर्क की कुल लंबाई केवल 4346 किलोमीटर की है और पूरे थाईलैंड में हर दिन केवल 250 ट्रेनें चलाई जाती है।

Biggest Loss नहीं खरीदना चाहिए ये देश भारतीय कोचों को देखिये क्या हे कारण

 

 इतनी कम होने के बावजूद हम थाईलैंड को रेलवे क्लिक बड़े पोट मार्केट इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि थाईलैंड रेलवेज हर कुछ सालों में रोलिंग स्टॉक प्रोक्योरमेंट के लिए बहुत बड़ा टेंडर निकाल एग्जांपल के लिए ग्राफ लोकोमोटिव की बात करें तो थाईलैंड के ज्यादातर ऑर्डर 20 लोकोमोटिव से ज्यादा के होते हैं। वही है क्या डीएमयू की बात करें तो थाईलैंड रेलवे की सरकार लगभग हर बार 20 से 40 दिन में ट्रेन से एक बार में किसी भी देश से इंपोर्ट कटियाल इंडिया फ्री दिल भी कोशिश का आर्डर सन 2014 में सीआरपी को दिया था, जिसके अंतर्गत चाइना की सीआरआरटी नहीं तो 15 को चित साइलेंट को सपोर्ट किए थे। बात करें। भारत के थाईलैंड को सपोर्ट को लेकर की वेबसाइट के मुताबिक 1966 से अभी तक केवल 47 होगी। सी थाईलैंड को सपोर्ट की गई है और यहां के 1 मीटर के लोकगीत की बात कर रहे हैं। बाराती आज तक थाईलैंड को एक भी रेलवे कोचेस सपोर्ट नहीं किया है, जबकि थाईलैंड भारत के अंडमान और निकोबार के सभी को टर्न शेयर करता है। देखा जाए तो भारत थाईलैंड जैसे साउथईस्ट एशियन देशों से काफी करीब है। पर फिर भी इंडियन रेलवेज ना के बराबर ही चेक स्पॉट मार्केट को क्या पकड़ पाई है, इसके दो रीजन हो सकते हैं।

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 पहला यह कि 2015 तक भारत से होने वाले ऊंट पर बहुत ही कम ध्यान दिया जाता था और उसका इन इंडियन रेलवेज इतना कंप्यूटर रूबी किसी भी एक्सपोर्ट मार्केट में बिक नहीं करती थी। दूसरा यह कि एसएसबी कोचिंग आने के बाद भारत की सभी रेल कोच फैक्ट्री इन घरेलू मार्केट के डिमांड को पूरा करने में लगी हुई है और ऑलरेडी इन सभी फैक्ट्री के पास आने वाले कुछ सालों तक के आर्डर मौजूद है। इसलिए भी इंडियन रेलवेज पिछले कुछ सालों से भी ओवरसीज मार्केट में डोनेशन और चाइना से थोड़ी कम कंप्यूटर टेबल पर इंडियन रेलवेज को समझना होगा कि घरेलू फिर भी कोशिश की। डिमांड पूरा होने के बाद ओवरसीज एक्सपोर्ट्स मार्केटिंग पार्टी को चलाए रखने के लिए हेल्प करेंगे और इसीलिए साउथईस्ट एशियन देशों में अभी तक कॉम्पिटेटिव रहने की काफी जरूरत है कि सभी देश भारत के लिए बहुत बड़े पोट मार्केट बन सकते हैं। अगर रेलवे का फॉर्म स्पॉट अच्छे से काम करें और इंडिया से इतने करीब होने के बावजूद भी यहां मेड इन इंडिया रेलवे कुछ शायरियां को देखने को मिले। हालांकि मेड इन इंडिया लोकोमोटिव वियतनाम और मलेशिया में आज भी चलते हुए देखे जा सकते हैं।

Biggest Loss नहीं खरीदना चाहिए ये देश भारतीय कोचों को देखिये क्या हे कारण

 पर हाल के कुछ सालों में देखा गया है कि यह सभी देश अपने नए शो मैड इन इंडिया की वजह चाइना जापान इंडोनेशिया साउथ कोरिया को दे रहे हैं इन सभी फूड मार्केट में चाइना इंडोनेशिया जापान काफी बढ़त बनाए हुए हैं और हाल ही में देखा गया है कि साउथ कोरिया भी अब इन सभी रेलवे एक्सपोर्ट मार्केट में काफी एक्टिव है और यही वजह है कि बांग्लादेश के पास होते हुए भी लोकोमोटिव का बहुत बड़ा ऑर्डर भारत को नहीं बल्कि साउथ कोरिया को मिला। थाईलैंड के सभी टेंडर के बीच के समय को देखते हुए तो हमें यही लगता है कि 2014 के बाद अब 2021 में आने वाले 1 से 2 सालों में थाईलैंड रेलवे शायद बहुत बड़ा रेलवे कोचिंग पर टेंडर निकाले और अगर ऐसा है तो इंडियन रेलवेज किलिंग गोल्डन चांस हो सकता है। एकदम नहीं मार्केट में पैर जमाने का लड़की बिना मर जाएगा। अगर आप इस वीडियो को यहां तक देख चुके हैं और ऐसे ही शौक के लिए चैनल को भी सब्सक्राइब कर लीजिएगा।

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