
दोस्तों चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को जब शिक्षा देने शुरू किया था तो उसने जल्दबाजी को लेकर दो बड़ी बातें चंद्रगुप्त मौर्य को समझाई थी जिसमें चाणक्य ने कहा था कि व्यापार के अंदर जब भी कोई फैसले लेने हो तो जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए और दूसरी बात उसने बोली थी
कि जब भी तुमने कोई नया रिश्ता बनाना हो, उसमें रिश्ते के अंदर जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। लेकिन आज अफगानिस्तान के सिचुएशन के अंदर भी भारत चाणक्य नीति पर ही काम कर रहा है। लेकिन रशिया और चाइना जैसे देश चाणक्य नीति से परे काम कर रहे है।
यही कारण है कि तालिबान के चमचे बनने के कारण आज रशिया और चाइना को मुंह की खानी पड़ी है और अब रशिया और चाइना अपना मुंह छुपाते हुए फिर रहे हैं। दुनिया के अंदर क्या हो गया है? आज आइए जानते हैं दोस्तों इस को ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करें।
इस कहानी की शुरुआत होती है। अमेरिका के एक गलत फैसले से और चाणक्य नीति को इग्नोर करने की वजह से अमेरिका ने फैसला लिया कि वह अपने सैनिक निकालेगा। सैनिक तो आसानी से निकल गए, लेकिन अब लोगों को निकालने के लिए अमेरिका को अपने सैनिक डिप्लाई करनी पड़ रही है।
दूसरी कड़ी में रूस और चाइना जैसे देश आते हैं जिन्होंने चाणक्य नीति को इग्नोर किया। रिश्तो के अंदर जल्दबाजी दिखाई तालिबान के साथ रिश्ता जोड़ने के लिए उतावली से दिखाई दे रही थे । यही कारण है कि अब वह अपना मुंह छुपाते हुए फिर रहे हैं। इंटरनेशनल मीडिया के अंदर और उनके विदेश मंत्रियों को बड़ी-बड़ी स्टेटमेंट देनी पड़ रही है।
भारत यहां पर बहुत अच्छी कंडीशन में है। और मजबूत कंडीशन में है कि हमें पूरी दुनिया के अंदर मजाक का पात्र नहीं बनना पड़ा क्योंकि हमने चाणक्य नीति के ऊपर काम किया है। व्यापार और रिश्तो के अंदर जल्दबाजी नहीं दिखाई है। रसिया ने कहा कि आज की जो सरकार तालिबान के अंदर बैठी है ना पिछले सालों की जो सरकार चली आ रही है ना उससे ज्यादा मजबूत है।
सिक्योरिटी ज्यादा करेगी। वह काबुल के लोगों की। लेकिन सिचुएशन आज यह बनी है कि जलालाबाद के अंदर लोगों को गोलियों से भून दिया है। तालिबान के लड़ाकों ने भी यही कारण है कि अब चाइना और रसिया वाले मुंह छुपाते फिर रहे हैं कि हमने तो बहुत गलत स्टेटमेंट दीदी तालिबान को लेकर अगर हम आज तालिबान के साथ खड़े होंगे तो पूरी दुनिया के देश रसिया और चाइना का भी मुंह काला करेंगे और चाइना ने अब अपने गिरगिट की तरह रंग बदलने में इस समय नहीं लगाया।
विदेश मंत्री का बयान आया है कि हमें कोई जल्दबाजी नहीं है। तालिबान को मान्यता देने के लिए और दूसरी तरफ चाइना ने भी कहा है कि जब तक तालिबान की सरकार नहीं बन जाती है, हम मान्यता नहीं देंगे। दोस्तों हमने आपको दो बातें बताई थी कि व्यापार के अंदर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
चाइना व्यापार की नजर से देख रहा है तो रसिया रिश्तो की नजर से देख रहा है और यह दोनों आज मुँह की खाएंगे। तालिबान के अंदर यही कारण है कि इनकी स्टेटमेंट का बदलाव सिर्फ 24 घंटे के अंदर आया है और यह स्टेटमेंट भारत को अंदाजा लगा रही। हमे चाणक्य नीति से जरा सा भी इधर-उधर नहीं होना है और हमें अफगानिस्तान के हालातों को और भी ज्यादा करीबी से और भी ज्यादा सूज बूज तरीके से फैसला लेना है
क्योंकि भारत का फैसला दुनिया के देशों को बहुत प्रभावित करने वाला है क्योंकि भारत के बताए हुए रास्ते पर ज्यादातर देश आज चलते हुए दिखाई देते हैं। क्या कहना चाहेंगे? अपडेट के ऊपर कमेंट सेक्शन में बताइएगा?