विजय माल्या किस तरह उड़ाते थे अपनी अरबों की दौलत

विजय माल्या साथ सुंदरियां ऐसे चिपकी रहती थी जैसे शहद के साथ मधुमखियाँ चिपकी रहती है ! वो जमीन पर ही नही हवा और पानी में भी रंगा रंग पार्टियाँ करता था ! वो अपने मेहमानों को कई देशों का खाना खिलाता और उम्दा क्वालिटी की शराब परोसता ! दुनिया भर की सुंदरियां उसके कलेंडर पर छपने के लिए तरसती थी , उसके कलेंडर की लोंच पार्टी का न्योता रईसी का इनोगेशन माना जाता !
फिर एक दिन पता चला अच्छे दिनों का राजा कंगाल हो गया है !वो कर्ज नही चूका पा रहा और महाजन उसके पीछे पड़े है उसके लिए काम करने बाले कर्मचारी सड़कों पर उतरकर वेतन मांग रहे थे और सरकार की परेशानी पर पसीना छलक रहा था ! लेकिन इतने पर भी उसकी रईसी में कोई कमी नही आई !
वो 60 साल का हुआ तो भी उसके ठाठ देखने लायक थे माथे पर 9 हजार करोड़ का कर्ज़ होने पर भी उसने अपनी बर्थ डे पार्टी पर भी स्पेन से सिंगर बुलाए और गोवा के अपने बिल्ला में सेंकडों मेहमानों को रंगा रंग पार्टी दी !उसकी पार्टी की तस्वीरे देखकर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को भी कहना पड़ा थाकी करोड़ों का कर्जा लेकर जो ऐसी पार्टियाँ कर रहा हो वो देश की जनता का मजाक बना रहा है !
फिर एक दिन वो लापता हो गया अपना सारा समान समेटकर उसने कर्ज़ देने बाले बेंकों को बाय बाय बोल दिया ! दावा है की वो देश के वितमंत्री को बता कर निकला था की वो जा रहा है उसके नाम से निकला रुकावट नोटिस भी उसे नही रोक पाया और दिल्ली से लंदन पहुंचकर उसने ऐलान किया की वो अपने घर आ गया है !
ढाई साल से ज्यादा हो चुके है इस ठग ऑफ़ हिन्दुस्तान को वापस भारत लाने की हर मुम्किन कोशिश हो रही है ! लेकिन यह ठग क़ानून के साथ आँख मिचौली खेल रहा है ! बेंकों को कंगाल कर गया विजय बिठल माल्या अब खुद को किंग ऑफ़ बेड टाइम कहता है लेकिन न तो उसके ठाठ कम हुए है न ही उसकी अयाशी भरी जिन्दगी में कोई फर्क पड़ा है !विजय बिठल माल्या खानदानी रईस था !
हिन्दुस्तान में दारु बनाने बाली सबसे बड़ी कम्पनी उसे पपौती में मिली थी जिसे उसने और कामयाब बनाया ! वो ठग कैसे बना और भारतीय बैंकों को चुना लगाकर फरार कैसे हो गया यह समझने के लिए 13 साल पीछे चलना होगा ! UV ग्रुप्स के मालिक विजय बिठल माल्या ने 2005 में एयरलाइन्स सेक्टर में उतरने का ऐलान किया और अपने बेटे सिद्धार्थ माल्या के बर्थ डे पर उसे नई कम्पनी का तोहफा दिया !
UV ग्रुप में उन दिनों स्प्रिट से लेकर केमिकल और पेंट ,न्यूजपेपर और फ़िल्मी मेग्जिन के बिजनस थे ! माल्या ने प्रीमियम ब्रांच की एअरलाइंस कम्पनी बनाई जिसमे यात्रियों को नये तरह का एक्सपीरियंस देने का वादा किया गया ! माल्या ने 70 हवाई जहाज का पेड़ा बनाया गया और पेरिस से इन्टरनेशनल एयर शो केसाथ 50 एयरवेस खरीदने का ऐलान किया !साल 2007 माल्या के अच्छे दिन थे !
देश की अर्थव्यवस्था की रफ़्तार भी तेज थीऔर कई आस लगा रहे थे की भारत चीन को भी पीछे छोड़ देगा ! पहले 2 साल किंगफिशर के बेहतरीन रिजल्ट में कम्पनी ने मुनाफा भी कमाया और 2007 में किंगफिशर एयरलाइन्स ने 550 करोड़ में एयर डेकन का सौदा कर लिया ! लेकिन माल्या ने इस धंदे में अपना खानदानी पैसा नही लगाया था !
किंगफिशर एयरलाइन्स में लगा पैसा क़र्ज़ का था जिसे 17 बेंको से लिया गया था ! इस कर्ज़ पर ब्याज की दर भी अच्छी थी ! खुद माल्या किंगफिशर एयरलाइन्स से 35 करोड़ 46 लाख रुपए की सालाना सैलरी लेता था ! 2008 -09 की मंदी में हालात बदलने लगे ! मुनाफा घाटे में बदल गया और कम्पनी कर्जदारों का ब्याज चुकाने में नाकाम होने लगी !
2008 में तेल के दाम बढने से किंगफिशर को 934 करोड़ का घाटा हुआ जिसके लिए कर्ज़ लिया गया !2009 आते आते कर्ज़ बढ़कर 5665 करोड़ हो गया जो ब्याज के साथ 7 हजार करोड़ पार कर गया !इस ठग ने IDBI बैंक को चुना लगाया ! उसने किंगफिशर के कर्मचारियों को सैलरी देने और ओपरेशन जारी रखने के लिए 861 करोड़ रूपए का लोंनमाँगा !
कम्पनी के खाते में कुछ नही बचा था ! लोन सारे एसेट से ज्यादा हो चुके थे इसलिए कर्ज़ लेने के लिए माल्या ने बैंक अफसरों को 16 करोड़ की रिश्वत दी ! लोंन के पैसे मिले तो माल्या ने वो पैसे किंगफिशर में नही लगाए बल्कि खोखा कम्पनियों कीमदद से उसने उस पैसे को यूरोप के खातों में पहुंचा दिया ! जहाँ इस पैसे से F1 रेस कराई गई !
साल 2010 में विजय माल्या राज्यसभा के सदस्य बनकर संसद पहुँच गया ! उधर किंगफिशर एयरलाइन्स के कर्मचारीयों ने सैलरी के लिए सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया और सरकार के हाथ पैर फूलने लगे ! कम्पनी को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर कोशिश हुई खुद प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने ऐलान किया था की सरकार एरिएशल सेक्टर को डूबने नही देगी !
सरकार और RBI के कहने पर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के नेतृतव में 17 सरकारी बैंको ने किंगफिशर एयरलाइन्स को दिए गये लोन की रिस्ट्रकशन की ! रिस्ट्रकशन माने लोन चुकाने की शर्तें और उसका शेड्यूल बदला गया ! माल्या ने 4 हजार करोड़ का बताकर किंगफिशर काब्रांड गिरवी रखा !
किंगफिशर को बचाने की कोई कोशिश काम नही आई 2011 में किंगफिशर एयरलाइन्स का लाइसेंस जब्त हो गया और कम्पनी बंद हो गई ! तब से कर्ज़ बसूली की प्रक्रिया चल रही है ! माल्या भाग चूका है और बेंकों को किंगफिशर एयरलाइन्स को दिए सारे क़र्ज़ NPA में डालने पड़े है !
कर्ज़ बसूली का आलम यह है की माल्याने किंगफिशर के जिस ब्रांड को 4 हजार करोड़ रूपए का बताकर लोन लिया था वो सब बैंकों को एक पैसे की भी रिकवरी नही हुई ! इस ब्रांड की नीलामी के लिए बैंको ने 330 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइज रखे थे लेकिन कोई खरीददार नही मिला ! गोवा में माल्या का किंगफिशर बिल्ला 3 बार की नाकाम नीलामी के बाद किसी तरह 73 करोड़ में बिक गया !
गोवा में ही बना किंगफिशर हाउस 5 दोर की नीलामी में भी नही बिका है इसे 150 करोड़ का बताकर कर्ज़ लिया गया था लेकिन नीलामी में खरीदारों के लाले पड़ गए ! किंगफिशर हाउस की रिजर्व कीमत 5 बार कम हो चुकी है ! लेकिन कोई खरीदार नही मिल रहा !
सरकारी एजेंसियों का दावा है के इस ठग की 9 हजार करोड़ से ज्यादा की सम्पति उसके कब्जे में है लेकिन उन सम्पतियों को नीलाम करने की प्रक्रिया इतनी जटिल है और कानूनी दांव पेच इतने ज्यादाहै की बैंकों को कुछ भी मिलता हुआ दिख नही रहा है !लंदन के बेस्ट मेनस्टर कोर्ट में सुनवाई के लिए आने बाला माल्या हर बार इसी तरह दिखता है धुंए के छले उड़ाता हुआ बेफिक्र , बेलब्ज ! इस ठग ने बैंकों को अकेले चुना लगाया हो ऐसा नही है उसके साथ ठगों की एक पूरी टोली है जो कदम कदम पर उसके लिए रास्ता बनाती रही !
, उसकी मुश्किलें आसान करती रही ! किसी नौकरी पेशा को 20- 25 लाख रूपए का होम लोन देने से पहले 36 तरह के पेपर चेक करने बाले बैंक के अफसरों ने माल्या के कम्पनी के खाते चेक किये बगैर सेंकडों हजारों करोड़ोंका लोन क्यों दे दिया यह एक बड़ा सवाल है ! माल्या कैसे भगा इस सवाल पर खूब सियासी तलवारें चमक चुकी है लेकिन देखना यह भी होगा की माल्या को लोंन कैसे मिलते रहे !
विजय माल्या की कम्पनियों को पहली बार सितंबर 2004 में लोन दिया गया था जब UPA की पहली सरकार बनी थी ! इस लोंन की फरवरी 2008 में समीक्षा की गई और 2009 में 8040 करोड़ के लोन को NPA में डाला गया ! NPA का मतलब होता है ऐसे लोन जो डूब गए और जिनको बसूला नही जा सकता ! माल्या के खिलाफ दायर चार्जशीट के मुताबिक़ साल 2009 में उसने IDBI बैंक के अधिकारियों को 16 करोड़ के रिश्वत देकर 861 करोड़ के लोन दे दिए !