ताजमहल के चौंका देने वाले रहस्य जिन्हें सरकार भी बताने से डरती हैं

क्या आपको पता
ऐसा माना जाता है कि ताजमहल का निर्माण साल 1631 में शुरू हुआ था और साल 1653 में यह बनकर तैयार हो गया और इसे आज भी निर्माण कुशलता का एक विशाल नमूना कहा जाता है ! शोधकर्ताओं ने इस पर कई शोध किये है ! और उनका मानना है कि ताजमहल के नीचे हजार से भी ज्यादा कमरे है ! उनका मानना है कि ताजमहल जितना ऊँचा है यह धरती के अंदर उतना ही गहराई में बनाया गया है !
जिस जमाने में ताजमहल को बनाया गया था उस जमाने में किले से बाहर निकलने के लिए रास्ते बनाए जाते थे ! और ऐसा ही ताजमहल के अंदर से भी है इसके नीचे से एक रास्ता भी है ! जो कहीं बाहर निकलता है , लेकिन ताजमहल के रहस्यमयी तय्खानों की तरह उस रास्ते को शाहजहाँ के समय से ही बंद करवा दिया गया !
आपको यह जानकर जरुर हैरानी होगी की ताजमहल का रंग भी बदलता है ! दिन के अलग अलग पहर के हिसाब से ताजमहल भी अपना रंग बदलता है ! सुबह देखने पर ताज गुलाबी दिखता है ! शाम को सफेद दिखता है और चांदनी रात में सुनहरा दिखता है ! एसा सफेद संगमरमर पर सूरज और चाँद की रौशनी पड़ने के कारण होता है !
एसा कहा जाता है कि ताजमहल के निर्माण के बक्त भूत और जिन्न इसकी नीब नही रखने देते थे ! वे बार बार इसे ध्वस्त कर देते थे और कारीगरों को डराकर भगा देते थे ! एसे में शाहजहाँ ने भूत और जिन्न को वहां से भगाने के लिए हिम्मामु की राय ली ! हिम्मामु ने शाहजहाँ को अरब में बुखारासर के पीर हजरत अहमद बुखारी को बुलाने का सुझाब दिया था ! तब बादशाह के बुलाबे पर पीर अपने चार भाइयों और सेंकडों साहयकों के साथ आगरा आए !
चारों पीर बंधुओं ने आगरा में ताजमहल के न्यू परिसर में पहुंचकर कुरआन के कलमे पढ़े थे इसके बाद शाहजहाँ के हाथों न्यू रखवाकर ताजमहल को बनबाने का कम शुरू करवा दिया था ! तब कहीं जाकर इसका निर्माण शुरू हो गया था !
इन चार पीर बंधुओं की मजार ताजमहल के चारों तरफ बनी हुई है ! माना जाता है कि जब तक यह मजार यहाँ पर है तब तक ताजमहल को कुछ भी नही हो सकता है ! साल 1934 में दिल्ली के एक निवासी ने दीवार पर एक छेद के जरिये ताजमहल के तयखाने में जो कमरे थे उन्हें झांककर देखा था उस आदमी ने देखा कि बो कमरा असतम्भों से बना एक बड़ा हौल था और बो असतम्भ हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा था !
उस आदमी के अनुसार कमरे में रोशनदानियाँ बनी हुई थी! जो आमतोर पर बड़े हिन्दू मंदिरों पर देखने को मिलती है ! उन रोशंदानियों को संगमरमर के पथर से ढका हुआ था ! जिसे देखकर लगता है कि किसी ने हिन्दू मूल को छुपाने का पूरा प्रयास किया था !
वहां के स्थानियों लोगों का भी मानना है की ताजमहल एक हिन्दू मंदिर था ! जो तेजू मोहाले नाम से प्रसिद्ध था ! बाद में इसे ताजमहल का रूप दिया गया ! परन्तु सचाई क्या है, यह कोई नही जानता! आज भी किसी को नही पता भारतीय पुरातत्ब सर्वेक्षण ने 22 कमरों को इसलिए बंद रखा है ताकि इस कमरे में छिपे सचाई के चलते भविष्य में कोई दंगे न हो !
सबसे मजेदार बात तो यह है की कुतुबमीनार नाम इमारत को जिसको हम सबसे ऊँची इमारत मानते है, ताजमहल उससे भी ऊँचा है ! कुतुबमीनार को देश की सबसे ऊँची इमारत कहा जाता है ! लेकिन इसकी ऊंचाई ताजमहल के सामने छोटी पड़ जाती है ! सरकारी आंकड़ों के अनुसार ताजमहल, कुतुबमीनार से 5 फीट ज्यादा ऊँचा है ! ताजमहल को देखने के लिए एक दिन में सबसे ज्यादा भीड़ इकट्ठी होती है !
पूरी दुनियां में दूसरी कोई ऐसी इमारत नही है जहाँ एक दिन में इतने सैलानी इकठे होते है ! ताजमहल को देखने के लिए पूरी दुनियां से 12000 सैलानी हर रोज आगरा की ओर रवाना होते है ! क्या आप शाहजहाँ के उस सपने के बारे में जानते है जो उन्होंने अपनी बेगम मुमताज़ महल के लिए नही बल्कि अपने लिए देखा था ! काले ताजमहल का सपना !
शाहजहाँ चाहते थे मुमताज़ के लिए बने सफेद ताजमहल के बाद वे अपने लिए काला ताजमहल बनबाए ! लेकिन जब उन्हें उनके बेटे ने कैद कर लिया तो उनके लिए ये सपना एक सपना ही रह गया! यदि ताजमहल की मीनारों पर गोर किया जाए तो आप देखेंगे की चारों मीनारे सीधी खड़ी न होकर एक दुसरे की ओर झुकी हुई है !
इमारतों का ये झूका हुआ रिमाड़ बिजली और भूकंप के दोरान मुख्य गुम्बद के उपर न गिरने के लिया किया था ! कुछ लोग कहते है की चारों मीनारे गुम्बद को झुककर सलाम कर रही है ! कहा जाता है कि जिन मजदूरों ने ताजमहल को बनाया था शाहजहाँ ने उनके हाथ कटवा दिए थे ! लेकिन इतिहास में बापिस लौटा जाए तो ताजमहल के बाद भी कई इमारतों को बनबाने में उन लोगों ने अपना योगदान दिया था, जिन्होंने ताजमहल बनबाया था !
उस्ताद अहमद लाहोरी उसपल का हिस्से थे जिन्होंने ताजमहल जेसी भव्य इमारत का निर्माण किया था! उस्ताद अहमद लाहोरी की देखरेख में ही ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ था ! कहा जाता है की ताजमहल शाहजहाँ ने नही बल्कि समुद्रगुप्त ने बनबाया था !
जिस जगह पर हम आज की तारीख में ताजमहल जैसी भव्य इमारत को देखते है वहां पहले शिव मंदिर था ! जिसका नाम तेजू महालय था ! और उसकी छत पर टपकने बाला पानी शिव जी के शिवलिंग पर बूंद बूंद कर के टपकता था ! इसके पीछे की एक कहानी यह भी है की जब शाहजहाँ ने सभी मजदूरों के हाथ काट दिए जाने की घोषणा की थी ताकि बो कोई और ऐसी इमारत न बना दे तो मजदूरों ने छत पर एक छेद छोड़ दिया था
ताकि शाहजहाँ का सपना पूरा न हो सके ! ताजमहल के कैंपस में लगे हुए सारे फब्बारे एक साथ ही कम करते है और सबसे आश्चर्य करने बाली बात यह है की ताजमहल में लगा हुआ कोई भी फब्बारा पाइप से जुद्दा हुआ नही है ! बल्कि हर फब्बारे के निचे ताम्बे का टेंक बना हुआ है जो एक ही समय पर भरता है और दवाव बनने पर एक ही साथ काम करता है !
यह तो सभी जानते है की मुमताज़ शाहजहाँ की पत्नी थी लेकिन शायद ही कोई जानता हो की वो उनकी तीसरी पत्नी थी ! शाहजहाँ के 14वे संतान को जन्म देते समय उनका निधन हो गया था और उनकी याद में ही शाहजहाँ ने ताजमहल बनबाया था ! ताजमहल को लेकर एक नई कहानी सामने आ रही है जिसके अनुसार ताजमहल के नीचे के तय्खानों में कीमती खजाने हो सकते है !
क्योंकि metel detecter से इनके नीचे कई तरह की धातुए होने की पुष्टि हुई है ! लेकिन आर्कोलोजिष्ट का यह मानना है की इसके अंदर कई ऐसे एतिहासिक दस्ताबेज भी हो सकते है ! जो हमारे इतिहास तक को भी बदल सकते है ! इन तय्खानो की खोज और इनकी खबरे तो काफी आई लेकिन कभी इन्हें खोला नही जा सका!
इनमे से कई दरवाजे तो खोले गए लेकिन बाद में उन्हें बंद कर दिया गया ! आज सभी लोग सेल्फी के दीवाने है लेकिन जोर्जे हेरिसोन नाम के इस व्यक्ति ने फिस आइलेंस की मदद से उस समय सेल्फी ली थी जब सेल्फी का दौर ही नही था ! यानी ताजमहल के साथ पहली सेल्फी जोर्जे हेरिसोन ने ली थी ! यह थे दुनियां के सबसे बेहतरीन इमारत ताजमहल से जुड़े हुए intrusting facts जिन्हें कम लोग ही जानते है !