जयगढ़ के खजाने के लिए इंदिरा गांधी सरकार ने खुदवा दिया था पूरा किला !

दोस्तों आज हम बात कर रहे है राजस्थान के जयगढ़ किले के खजाने की ! खजाना था राजा मान सिंह का वहीं मान सिंह जो बादशाह अकबर के बेहद अजीज थे उन्होंने ही बीरबल की मौत का बदला भी लिया था वैसे तो राजा मान सिंह के अकबरी दरबार से जुड़े कई किस्से मशहूर है पर वो जो सबसे दिलचस्प है वो है उनका जयगढ़ किले में दवा खजाना ! तो जानिये आज इसी दबे खजाने के रहस्य के बारे में जानते है !
राजा मान सिंह के पास इतना खजाना कहाँ से आया ? जिसने भी अकबर के 9 रत्नों के बारे में सुना है वो राजा मान सिंह के बारे में जरूर जानता होगा यह अपनी बुद्धि मत्ता और सैन्य कुशलता के कारण अकबर के दिल के काफी करीब थे बतौर सेनापति राजा मान सिंह ने अकबर के लिए कई एतिहासिक जंग जीती थी मुगलों की आदत थी की उन्होंने देश के जिस भी राज्य और रियासत में हमला करना शुरू कर किया और जीत हासिल की उसे लूट लिया क्योंकि जीत में राजा मान सिंह का श्रेय भी कम नही था इसलिए संपति में भी उसका बराबर का अधिकार रहा ! राजा मान सिंह से उनके पिता राजा भगवान दास ने भी अकबर किले के कई युद्धों में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी ! राजा मान सिंह पारिवारिक रूप से पहले से ही सक्षम थे उनका जन्म 1540 को हुआ था और वे अम्बे रियासत के राजा थे मुगल बादशाह से दोस्ती के बाद उनका कद समस्त भारत में बढ़ गया हल्दी घाटी के युद्ध में भी उन्होंने शानदार विजय हासिल की थी हालाँकि जब मुगलों ने महाराणा प्रताप के राज्य को लुटने की तैयारी की तो राजा मान सिंह ने इसका विरोध किया वैसे बादशाह अकबर से राजा मान सिंह का दूसरा रिश्ता फूफा और भतीजे का था |
साल 1594 में मान सिंह को बंगाल उड़ीसा और बिहार का शासक नियुक्त किया गया इस दौरान उन्होंने कई छोटी बड़ी रियासतों के राजाओं को हराकर इनकी सम्पति अपने नाम कर दी सालों तक राजा मान सिंह ने अपने पराक्रम के बल पर अकूट सम्पदा जमा कर ली थी जिसे उन्होंने अपने आमेर किले में गुप्त स्थान पर छिपा दिया था उन्होंने अपने जीवन काल में भारत में जितनी भी रियासतों से सम्पति हासिल की थी उससे कई गुना सिर्फ एक बार में अफगानिस्तान से हासिल कर ली थी ! एक कहानी के अनुसार अकबर के आदेश पर मान सिंह काबुल गए थे वहां के अवाम लुटेरे सरदारों से काफी परेशान थे मान सिंह ने सरदारों से मुकाबला कर उन्हें जंग में हरा लिया इसी दौरान मान सिंह ने युसूफ जई कबीले के सरदार को मार कर बीरबल की मौत का बदला भी लिया कहा जाता है की लुटेरों के पास कई टन सोना था जिसे मान सिंह अपने साथ ले आया यह संपति उन्होंने मुगलों को न सोम्पकर आमेर के किले में छीपा दिया और इस तरह मान सिंह के पास एक विशाल खजाने का अम्बार लग गया !
जब सरकार को इस खजाने का पता लगा मान सिंह के खजाने के बारे में उस दौर में तो कोई चर्चा नही हुई पर इसका जिक्र अरबी भाषा के एक पुरानी किताब हफ्त तिलस्मी अम्बेरी यानिकी अम्बेरी के 7 खजानों में मिलता है इसमें लिखा है मान सिंह ने अफगानिस्तान से इतनी सम्पति लूटी थी की उससे कई रियासतों का पेट पल सकता था किताब में कहा गया है की जयगढ़ किले के नीचे पानी में सात विशाल टंकियां बनी है मान सिंह ने खजाना यहीं छिपाया था बातें किताबी थी सो किसी ने इन पर ध्यान नही दिया समय के साथ अफवाहें भी आती रही लेकिन यहाँ बात अकूट सम्पति की थी तो भला कितने दिन छिपती इस खजाने की चर्चा पहली बार 1976 में हुई उस बक्त जयपुर राजघराने की प्रतिनिधि महारानी गायत्री देवी थी गायत्री देवी तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी की सख्त विरोधी थी और वे स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनावों में तीन बार कांग्रेस के प्रतिनिधियों को हरा चुकी थी ! कहा जाता है की गायत्री देवी और इंदिरा गाँधी में काफी लम्बे समय से ठनी हुई थी ! 1975 में इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल की घोषणा की थी एक तरह से यह सरकार के पास अपनी मनमानी करने का मौका था आपातकाल की आढ़ में केंद्र सरकार ने गायत्री देवी को जेल में डाल दिया उन पर विदेशी मुद्रा का कानून उल्लंघन का आरोप लगाया गया इस आरोप के बाद इंदिरा गाँधी आदेश पर जयगढ़ किले में आयकर अधिकारीयों ने छापा मारा इस काम में सेना और पुलिस की भी मदद ली गई तीन महीने तक जयगढ़ किले में खजाने की खोज जारी रही हालाँकि गायत्री देवी बार बार यही दावा करती रही की किले में कोई सम्पति नही है पर सरकार ने सम्पति के लिए किले को पूरी तरह नुक्सान पहुँचाया यह बात और है की खुदाई खत्म होने के बाद सरकार ने दावा किया की महल में कोई खजाना नही है !
पाकिस्तान ने भी माँगा अपना हिस्सा ! सोचने बाली बात यह है की जयगढ़ किले से जयपुर की महारानी का क्या सम्बन्ध हो सकता है तत्कालीन दस्तावेजों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है की राजा जय सिंह द्वितीय ने 1726 में जयगढ़ किले का निर्माण करवाया था इस महल में बनाई गई सुरंग का दूसरा हिस्सा मान सिंह के द्वारा 1592 में बनवाए गए आमेर किले में खुलता था यानी आमेर का किला और जयगढ़ का किला आपस में जुड़े हुए थे ! इसलिए सरकार ने खुदाई तो जयगढ़ किले में करवाई पर उसके रास्ते वे आमेर किले तक रुसंग में दबे सोने को तलाश रही थी ! बरहाल भारत सरकार का यह ख़ुफ़िया अभियान पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से भी न छिप सका अगस्त 1976 में पाकिस्तान के तत्कालीन PM ने इंदिरा गाँधी को खत लिखा इसमें कहा गया की आपके यहाँ खजाने की खोज का काम आगे बढ़ रहा है और मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ की आप इस दौरान मिली सम्पति के बाजिव हिस्से पर पाकिस्तान के दावे का ख्याल रखेंगी ! जैसे ही यह खत भारत पहुंचा तब तक खबरे मिडिया के हाथ लगी और यह मसला पूरी दुनियां में चर्चा का विषय बन गया ! खुदाई चल ही रही थी की भारत से दुनियां भर के राजनेताओं ने खजाने के बारे में पूछताछ शुरू कर दी आखिरकार तीन महीनों के बाद इंदिरा गाँधी ने खजाना न मिलने की घोषणा की और पाकिस्तान को जबाव लिखा ! “हमने अपने कानूनी सलाहकारों से कहा था की वे आपके द्वारा पाकिस्तान की तरफ से किये गए दावे का ध्यान से अध्ययन करे उनका साफ़ साफ़ कहना है की इस दावे का कोई कानूनी आधार नही है वैसे यहाँ खजाने जैसा कुछ नही मिला !” शक के घेरे में क्यों है सरकार ?
सरकार ने भले ही खजाना न मिलने की बात कह कर पला झाड़ लिया था पर यह बात लोगों के गले नही उतरी कहा जाता है की जिस दिन आयकर विभाग और सेना ने किले की खुदाई का काम बंद किया और अभियान खत्म होने की घोषणा हुई उसके ठीक एक दिन बाद अचानक बिना किसी कारण के दिल्ली जयपुर हाइवे आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया ! माना जाता है की सरकार को किले से काफी सम्पति बरामद हुई थी और उसे ट्रकों में भरकर दिल्ली भी लाया गया था क्योंकि सरकार जनता को इसकी भनक नही लगना देना चाहती थी इसीलिए हाइवे को बंद कर दिया गया था हाइवे बंद होने की घटना पर कांग्रेस ने कभी कोई सफाई पेश नही की ! राजघराने के कई सदस्य है जो सरकार के दावे पर विश्वास नही करते कहा जाता है की 1977 में जनता पार्टी की सरकार आने के बाद जयपुर राजघराने को किले से बरामद सम्पति का कुछ हिस्सा लौटाया गया था हालाँकि सच आपातकाल की भेंट चढ़ गया अपनी साख बचाने के लिए सरकार ने कहा की किले में खजाना था ही नही ! इतिहासकारों से कहलवाया गया की खजाना था पर उसका इस्तेमाल रियासतों ने जयपुर और आस पास के क्षेत्रों के विकास के लिए कर लिया था ! इन सभी दावों के बीच सच का पता आज तक नही चल पाया जयगढ़ कहें या आमेर का किला खजाना जहाँ भी था कम से कम अब वो वहां तो नही है ! धन्यवाद !