गैंगस्टर के गढ़ उत्तर प्रदेश में कैसे उभरे Yogi Adityanath

सन्याशी वेश भगवा लिबास ओढ़े इस व्यक्ति देख हम सभी को ऐसा लगता हे ऐसा व्यक्ति केवल ज्ञान और उपदेश देने वाला ही हो सकता हे। फिर कैसे योगी आदित्यनाथ जिनका चित्र भी उत्तरप्रदेश के चुनावी रण में नहीं था। जिन्हे पार्टी के वरिस्ट नेताओ द्वारा पूर्ण रूप से स्वीकार भी नहीं किया जा रहा था।
फिर वो 19 मार्च 2017 को उत्तरप्रदेश जैसे भारत के सबसे विशाल राज्य का मुख्यमंत्री की शपथ लेते हे। जी हां आज में उन्ही योगी आदित्यनाथ की बात कर रहा हु जिन्हे हिंदुत्व की शान और जिन्हे पूर्वांचल का शेर कहा जाता हे और तो और विश्व के सबसे बड़े राजनितिक दल का स्टार प्रचारक माना जाता हे।
जिनकी चुनावी रैलियों में जय श्री राम और मोदी योगी के नारे गूंजते हे। आइये जानते हे आज के हिन्दू ह्रदय सम्राट के जीवन के बारे में !! योगी आदित्य नाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के घड़वाल जिले के एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री आनंद सिंह बीस्ट और माता का नाम श्रीमति सावत्री बीस्ट हे।
योगी के जीवन में मुख्य तीन मोड़ सबसे अहम् आये थे। एक जब योगी की 22 साल की उम्र में शिक्षा हुई। दूसरा वो जब 26 साल की उम्र में वो पहली बार सांसद बने। और तीसरा वो जब वो 42 साल की उम्र में up के मुख्यमंत्री बने। योगी 1993 में गणित में msc की पढाई केलिए गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर पहुंचे।
उन दिनों देश में राम मंदिर का आंदोलन जोरों शोरों पर था। जहाँ इनकी मुलाकात मठाधीश संत श्री अवेधनाथ से हुई। राम आंदोलन और महंत अवेधनाथ का असर इनके मानस पटल पर इतना पड़ा की 1994 में इन्होने सन्याशी जीवन को अपना लिया। तब से योगी आदित्यनाथ के नाम से पहचाने जाने लगे। योगी ने नाथ संप्रदाय से दीक्षा ली थी।
नाथ संप्रदाय का धर्म ये कहता हे की देश धर्म और देश की राजनीती में जरूर हिस्सा लेना चाहिए। इस तरह से अपने धर्म कर्म को अपनाकर आदित्यनाथ ने एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में भाला वाले व्यक्तव्य को अपनाकर 1991 में भारतीय जनता पार्टी में कदम रखा।
1998 में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शीट से महज 26 वर्ष की आयु में 12 वी लोकसभा के सबसे कम उम्र के सांसद चुने गए। उस वक्त उनकी जीत का फासला बहुत कम था। लेकिन इनकी आयु बढ़ने के साथ साथ इनकी लोकप्रियता भी बढ़ती चली गयी। और इन्हे गोरखपुर शीट से पांच बार सांसद चुना गया।
अपनी पांचवी जीत में इन्होने दो लाख वोटों से बढ़त हासिल की। उन्होंने 2002 में हिन्दू युवा वाहिनी संघठन की शुरुआत की। ये संघठन पूर्वी उत्तरप्रदेश में हिंदूवादी गतिविधियो में परिपूर्ण था। इस कारण पार्टी से सम्बन्धो के बिगड़ने के कारण इनको टिकट देने में काफी आनाकानी हुई।
लेकिन इस युवावाहिनी से योगी की लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी थी की ये जहाँ खड़े होते सभा वही से शुरू होती। वो जो बोल देते थे उनके समर्थकों के लिए वही कानून बन जाता। इसी के साथ योगी आदित्यनाथ की पहचान देश भर में फैलने लगी। 2005 में योगी ने शुद्धि अभियान में हिस्सा लिया।
जिसमे उत्तरप्रदेश के ईटा शहर से लगभग 1800 ईसाइयों को हिन्दू धर्म में शामिल किया गया। इसके बाद तो विवादों और योगी का चोलीदामन का साथ रहा। वर्ष 2007 में मुलायम सिंह की सरकार में प्रदेश में अशांति फैलाने और दंगा करवाने के आरोप में योगी को जेल में डाल दिया गया।
क्योंकि वो लोगो के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे। इन्ही वजहों से योगी पर जानलेवा हमला भी हुआ। और उसके बाद योगी लोकसभा में अपनी बात कहते कहते रो पड़े थे। जून 2015 में इन्होने सूर्यनमस्कार ना मानने वालो के खिलाफ आवाज उठाई थी। और इसी वर्ष देश में छाए असहिष्णुता के माहौल में अभिनेता शाहरुख खान के खिलाफ बयान जारी किये।
और अपने हिंदूवादी भाषण के लिए चर्चा का विषय बने रहे। इन्होने खुलकर लवजिहाद, आतंकवाद ,गौ हत्या और कश्मीर जैसी समस्याओं के मुद्दे उठाये। जिनसे ये मुद्दे मीडिया की सुर्खियों में छाए रहे। इनकी बढ़ती लोकप्रियता और जमते कदमो को देख वर्ष 2017 में उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गयी।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के घटबन्धन के कारण बीजेपी के लिए ये चुनाव एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया। 11 मार्च 2017 को भारतीय जनता पार्टी ने उत्तरप्रदेश में 401 सीटों में से 325 सीटों को जीतकर बड़ी चुनौती को मुहतोड़ जवाब दिया। अब देश की निगाहे उत्तरप्रदेश पर थी।
सभी जानना चाहते थे की up की इस ऐतहासिक जीत के बाद मुख्यमंत्री की बागडोर किसके हाथों आने वाली हे। 7 दिनों की हुई चर्चा के बाद 18 मार्च 2017 को पार्टी ने मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के नाम की घोसणा की। 19 मार्च 2017 को शफथ ग्रहण समारोह में केंद्र के कई बड़े नेता प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच पर नजर आये।
योगी ने शपत लेते हुए समाज के सभी समुदायों और वर्गों के साथ मिलकर काम करने की भी शपत ली। इनके शपत ग्रहण समारोह में दो उप मुख्यमंत्री के साथ कुल 47 मंत्रियो ने शपत ली।