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अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने भारत पाकिस्तान दूसरे देश के लिए बड़ी बात कही

तालिबान ने अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने की घोषणा करदी है। घोषणा तालिबान लड़ाकु की राजधानी काबुल में राष्ट्रपति के महल में घुसने के बाद की गई रविवार यानी कि 15 अगस्त को इस्लामिक आतंकवादियों के शहर में दाखिल होने के साथ ही अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया।

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अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने भारत पाकिस्तान दूसरे देश के लिए बड़ी बात कही

उन्होंने कहा कि देश में खून खराबा ना हो इसे उन्होंने यह कदम उठाया है। इस बीच काबुल एयरपोर्ट पर देश छोड़ने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। नई सरकार की सुगबुगाहट के बीच तालिबान देश में शांति और दुनिया से अच्छे संबंधों की बात करने लगा है। खून खराबे के लिए बदनाम तालेबान काबुल में पकड़ मजबूत होने के बाद शांति की बात कर रहा है।

तालिबान के राजनीतिक ऑफिस के एक प्रवक्ता मोहम्मद ने अल जजीरा टीवी से कहा है कि आज का दिन के लोगों मुजाहिदीन के लिए बहुत महान है। वह अपने 20 साल के बलिदान के प्रयासों और बलिदान का फल देख रहे हैं। अल्लाह का शुक्रिया है कि देश में युद्ध खत्म हो गया है। नईम ने कहा कि अफगानिस्तान में किस तरह की सरकार बनाई जाएगी।

इसका फैसला जल्द ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि तालिबान अलग-थलग नहीं रहना चाहता और दुनिया भर से शांतिपूर्ण रिश्ते चाहता है। उन्होंने कहा कि हमे जो चाहिए था वह मिल गया है जो कि हमारे देश हमारे लोगों की आजादी है और किसी को भी अपनी जमीन को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं करने देंगे। हम किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं।

अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने भारत पाकिस्तान दूसरे देश के लिए बड़ी बात कही

तालिबान के एक अन्य प्रवक्ता जेब्बुल्ला मुजाहिद ने इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में शांति की बात कही। मुजाहिद कहा कि हम अफगानिस्तान में शांति देखना चाहते हैं। हम पहले के किसी भी नेता से न बदला लेंगे और ना ही उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे। हमारी कोशिश होगी कि सरकार में सभी को प्रतिनिधित्व मिले।

मुजाहिद ने आगे कहा कि किसी को भी हमसे डरने की जरूरत नहीं है। किसी को देश छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है। हम किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। मुजाहिद्दीन भी काबुल में शांति के लिए प्रवेश कर रहे हैं। हम साथ मिलकर शांति स्थापित करेंगे और किसी को परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते कब्जे के बीच लोगों ने वहां से निकलना शुरु कर दिया है।

यह दौर लगातार जारी है। 15 अगस्त की रात को भी सैकड़ों लोग देश छोड़ने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर जमा थे। इस बीच तालिबान ने उन्हें रुकने के लिए कह रहा है बल्कि जो जा चुके हैं, उन्हें अपने देश वापस आने का निमंत्रण दे रहा है। जय बोलना मुजाहिद का कहना है कि वापस आने वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा और उन्हें परेशानी नहीं होगी।

अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने भारत पाकिस्तान दूसरे देश के लिए बड़ी बात कही

सभी कबीलो समुदायों को हाथ मिलाकर को समृद्ध बनाने के लिए साथ आना चाइये तालिबान के प्रवक्ता जे बुल्ला मुजाहिद ने इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में आगे के प्लान का खुलासा किया। उनका कहना है कि तालिबान काबुल में शांति और व्यवस्था बनाए रखना चाहता है। हमारे लड़ाकू के काबुल शहर में घुसने का कारण भी यही है कि लूटपाट ना शुरू हो जाए।

जब उनसे सत्ता हस्तांतरण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने किसी भी तरह की अंतरिम सरकार की संभावना से इंकार कर दिया। मुजाहिद ने इस बात से भी इनकार किया कि अफगानिस्तान के पूर्व गृहमंत्री को ही देश के कार्यवाहक सरकार का मुखिया बनाया जाए। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर हमें अली अहमद जलाली स्वीकार नहीं है।

अंतरिम सरकार को लेकर कोई बातचीत भी नहीं हुई है। यह सब गलत जानकारियां प्रोपेगेंडा के तहत फैलाई जा रही हैं कि सरकार को लेकर रविवार यानी 15 अगस्त को कई तरह के कयास लगाया जा रहा है। तालिबान के डेप्युटी कमांडेंट मुल्लाह अब्दुल गनी बरादर को राष्ट्रपति बनाया जाएगा। लेकिन अफ़्ग़ानिसस्थान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद का कहना है कि यह फैसला बाद में लिया जाएगा।

अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने भारत पाकिस्तान दूसरे देश के लिए बड़ी बात कही

उन्होंने कहा कि हम एक इस्लामिक संगठन है और इसलिए सरकार सरिया के नियमों के आधार पर ही बनाई जाएगी। इसके लिए शूरा यानि इस्लामिक कमेटी बैठेगी और इस पर फैसला लेगी। जबसे तालिबान ने अफगानिस्तान ने पाव फसा रना शुरू किया है। सबसे ज्यादा चिंता महिलाओं को लेकर जताई जा रही है।

तालिबान हमेशा से महिलाओं को लेकर काफी सख्त शरिया कानून लाने के हिमायती रहा है। इसमें उनके पहनावे से लेकर कामना करने के नियम तक शामिल है। काबुल में तालिबान के कब्जे वाले दिन यानी 15 अगस्त को एयर इंडिया की फ्लाइट 129 लोगों को काबुल से दिल्ली लेकर आए। दिल्ली पहुंची। एक महिला ने रोते हुए अपना दर्द बयां किया।

उसने कहा। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि दुनिया ने अफगानिस्तान को उसके हाल पर छोड़ दिया है। हमारे दोस्त मारे जाएंगे। तालिबान हमें मार डालेगा। हमारे महिलाओं को कोई भी अधिकार नहीं मिलने वाले महिलाएं भले ही अफगानिस्तान में अपनी हिफाजत को लेकर चिंता जता रही हैं। लेकिन तालिबान महिलाओं को नौकरी की इजाजत देने की बात कर रहा है।

अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने भारत पाकिस्तान दूसरे देश के लिए बड़ी बात कही

कानून को मानते हुए काम करने की आजादी होगी। बच्चों को भी पढ़ाई की इजाजत मिलनी चाहिए। अफगानिस्तान में बेहतर शिक्षा की बहुत जरूरत है। तालिबान प्रवक्ता ने यह भी कहा कि उनका कहना है कि हम किसी भी राजनीतिक को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। हमारे लिए वो बहुत जरूरी है और हम सबसे अच्छे रिश्ते चाहते हैं।

अफगानिस्तान दुनिया के साथ संपर्क में रहना चाहता है। हम सभी देशों से राजनीतिक संबंध बनाए रखेंगे राजनैतिक और दूतावासों की सुरक्षा करेंगे। भारत में भी तालिबान से निपटने को लेकर दुविधा बनी हुई है। भारत अपने लोगों को काबुल से बाहर निकालने के साथ अपने निवेश को लेकर भी चिंतित है। इंडिया टुडे टीवी से भारत से उनके संबंधों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हम भारत सहित सभी देशों के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं।

हम अफगानिस्तान की बेहतरी के लिए काम करेंगे। पहले हमारे संबंध अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन हम बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश करेंगे। जब उनसे कहा कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते अच्छे नहीं हे जेबुल्ला ने कहा भारत के बीच के मामले उन्हें खुद निपटाने हैं। हम किसी का पक्ष नहीं लेना चाहते। अफगानिस्तान दोनों देशों से जुड़ा हुआ है।

अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने भारत पाकिस्तान दूसरे देश के लिए बड़ी बात कही

पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है और हमारे कई लोगों के लिए दूसरे घर की तरफ हे पाकिस्तान में रहते हैं। हम किसी भी तरह की दोषा रोपण में नहीं पड़ना चाहते हे । हम बस सभी देशों से अच्छे रिश्ते चाहते हैं। इधर अमेरिका में भी जो बाइडन प्रशासन के खिलाफ विपक्षी नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है।

उनका कहना है कि अ व्यवस्था एक विफल नेतृत्व का नतीजा है। सोमवार यानी कि 16 अगस्त को यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में भी अफगानिस्तान के मसले पर बातचीत होगी।

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