अनारकली किसकी माशूका थी बाप की या बेटे की

अनारकली कौन थी
जिसके बाद इश्क की आग में जल रहे सलीम ने शमशेर ठाकुर अपने ही बाप के खिलाफ बगावत का एलान कर दिया था बड़ी तिलसमई है अनारकली की कहानी ! इसमें लाहौर का वह मकबरा भी है जिसे अनारकली की याद में बनवाया गया ! एक अफसाना वह भी है जो कहता है कि अकबर ने अनारकली को दीवारों में जिंदा चुनवा दिया था !
जेहन में एक सवाल यह भी बार-बार उठता है mughal-e-azam फिल्म में जो कहानी दिखाई गई क्या वह सही है ? आखिर अनारकली का सच क्या है ? नमस्कार आज हम इतिहास के पन्नों में तलाशने जा रहे हैं अनारकली का सच ! तो चलिए शुरुआत करते हैं ! ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच के दावे के साथ विलियम फिंच 1608 से 1611 तक लाहौर में रहे थे !
विलियम फिंच जब लाहौर पहुंचे तब अनारकली जिंदा थी इसलिए इस शख्स के दावे को ध्यान से सुनिएगा ! विलियम का दावा है कि अकबर की कई बीवियों में एक अनारकली भी थी ! अनारकली के इश्क के चर्चे अकबर के बेटे जहांगीर यानी सलीम के साथ उड़े और इस बात से खफा होकर अकबर ने अनारकली को लाहौर के किले में दीवारों के अंदर चुनवा दिया !
बाद में जहांगीर ने उसी जगह पर एक खूबसूरत मकबरा बनवाया इसी मकबरे के पास लाहौर में एक बाजार है जिसका नाम भी अनारकली बाजार पड़ गया ! फिंच के मुताबिक अनारकली का मकबरा बाबा शेख की मस्जिद के पास ही है विलियम का यह दावा एक नजर में सनसनीखेज लगता है
लेकिन मुस्लिम लेखक सैयद अब्दुल लतीफ ने तारीख ए लाहौर नाम की किताब में इस बात की तस्दीक की है कि वह भी यही दावा करते हैं कि अनारकली अकबर की बीवी थी और सलीम के इश्क के चलते अनारकली को मौत की सजा दे दी गई !
लतीफ ने भी यही दावा किया की जहांगीर ने अनारकली की याद में मकबरा बनवाया था मकबरे में बनी कब्र पर जहांगीर ने एक संदेश भी खुदवाया जिसमें अनारकली को याद कर उसने लिखा अगर मैं अपनी महबूबा को एक बार पकड़ सकता तो कयामत तक अल्लाह का शुक्रिया करता !
अनारकली की इस खबर पर 2 तारीखें गुदी हुई है पहली 1599 और दूसरी 1615 ! लतीफ बताते हैं कि कब्र पर जो तारीख दर्ज है वह अनारकली की मौत और मकबरा के काम पूरा होने से जुड़ी है ! मतलब अनारकली की मौत 1599 मैं हुई और मकबरा 1615 में बनकर तैयार हुआ !
अब तक आपने ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच और लेखक सय्यद अब्दुल लतीफ के दावे सुने दोनों ने दो दावे किए अनारकली अकबर की पत्नी थी जिससे सलीम बेपनाह मोहब्बत करता था और दूसरा दावा यह निकल कर सामने आता है कि लाहौर में जहांगीर यानी सलीम ने अनारकली का मकबरा बनवाया !
हां अब एक तीसरा दावा सुनिए फिंच के 5 साल बाद सन 1616 में ब्रिटिश सम्राट के दूत की हैसियत से पादरी एडवर्ड टैरी भारत आए थे उन्होंने भी अनारकली का जिक्र किया है एडवर्ड के मुताबिक अकबर की कई बीवियां थी लेकिन अनारकली के लिए उसके दिल में खास जगह दी अकबर को जब पता चला कि उसके बेटे सलीम ने अनारकली से संबंध बनाए हैं तो उसने सलीम को उत्तराधिकार से वंचित करने की धमकी दे डाली !
एडवर्ड टैरी दावा करते हैं कि बादशाह अकबर जब मौत के आगोश में जाने लगे तो उन्होंने सलीम को उत्तराधिकारी ना बनाने का फैसला वापस ले लिया इस तरह सलीम को अकबर की मौत के बीच मुगल तख्त पर बैठने का मौका मिल गया मतलब एडवर्ड टैरी का दावा भी यही कहता है अनारकली अकबर की बीवी थी जिससे उसका बेटा सलीम इश्क करता था !
विलियम फिंच , सैयद अब्दुल लतीफ और एडवर्ड टैरी के दावों से समझा जा सकता है कि शहजादे सलीम और अकबर के बीच मशहूर जंग अनारकली को लेकर हुई थी ! इतिहास के पन्ने में दूसरी ऐसी कोई वजह नहीं कि जो बाप बेटे के बीच जंग का कारण बनी शहजादे सलीम ने अकबर के खिलाफ सन 1600 में बगावत कर दी थी
यह ऐसी बगावत की जिसमें तख्तापलट का इरादा नहीं था बल्कि यह वह तूफान था जो सलीम के दिल में अनारकली के लिए उठ रहा था ! जंग की कहानी कुछ यूं है सितंबर 1599 अकबर 80 हजार सैनिकों के साथ दक्कन में युद्ध के लिए निकला यहां ध्यान दें कि अनारकली के मकबरे में उसकी मौत की तारीख भी 1599 ही दर्ज है
जो लेखक सय्यद लतीफ ने बताई बेरहाल अकबर युद्ध पर जाते वक्त सलीम को आगरा की कमान सौंपता है लेकिन बाप के जाते ही बेटे के सिर पर जुनून सवार हो जाता है अनारकली की मौत का बदला लेना चाहता था ! 1601 में दक्कन की जंग का मकबरा जब आगरा लौटता है तो उसे पता चलता है
कि सलीम 30,000 घुड़सवार सैनिकों के साथ उसे चुनौती दे रहा है ! अकबर ने सलीम को तत्काल बंगाल जाने का हुक्म दे दिया लेकिन नाफरमानी पर उतारू सलीम हुक्म को दरकिनार कर देता है आगरा छोड़कर इलाहाबाद चला जाता है ! 4 साल तक अकबर और सलीम के बीच यही खेल चलता रहा सलीम की यह बगावत बताती है कि अनारकली को दीवारों पर चुनवाया जाना उससे बर्दाश्त नहीं हुआ !
अब तक आपने जो कहानी सुनी उससे स्पष्ट हो जाता है की अनारकली अकबर की बीवी थी और सलीम की माशूका तो सवाल ये उठता है कि अनारकली को एक कनीज किसने बना दिया जबकि वह अकबर की बीवी थी ! दरअसल अनारकली को कनीज बनाने की शुरुआत होती है लखनऊ के लेखक अब्दुल हलीम शरर के साथ !
हलीम ने मुगलिया इतिहास पर 100 से ज्यादा किताबें लिखी है इनका जन्म 1860 में हुआ और 1926 में मौत हो गई ! शरर के बाद से अनारकली को काल्पनिक किरदार बताने की शुरुआत हुई शरर ने अनारकली की कहानी लिखी जरूर लेकिन इसे पूरी तरह काल्पनिक बताया ! शरर के बाद 1922 में बहुत बड़े नाटककार मानें गए इम्तियाज अली ताज ने अनारकली के किरदार पर नाटक लिखा जो बेहद मशहूर हो गया
इसी नाटक से अनारकली की असल कहानी ने फिल्मी मोड़ ले लिया और शोहरत की बुलंदियों को छूने वाली इसी अनारकली के आधार पर बॉलीवुड में mughal-e-azam समेत कई फिल्में बनी इन फिल्मों को देखकर आज लोग अनारकली को सिर्फ सलीम की महबूबा समझते हैं ! वह नहीं जानते हैं कि असल में अनारकली अकबर की वह बीवी थी जो सलीम की माशूका बनी यही वजह रही कि अकबर ने अपनी जीवनी आईने अकबरी में अनारकली को जगह नहीं दी क्योंकि यह सच मुगलों को शर्मसार करने वाला था !
इतिहास के पन्ने में अनारकली के 2 नाम भी मिलते हैं नादिरा बेगम और शरफ़ुनिसा बताया जाता है कि वह ईरान से आई थी और उसकी खूबसूरती को देखकर अकबर ने उसे अनारकली का खिताब दिया था ! इतिहास के ऐसे ही रोचक किस्से और कहानी और ताजातरीन खबरों के लिए आप हमारे तो इसे लाइक और शेयर जरूर करें !